Site icon पद्यपंकज

प्रकृति का उपहार-जयकृष्णा पासवान

Jaykrishna

प्रकृति का उपहार एक बेल है
सौंदर्य ,चंदन का मून ।
पेट लीवर सब ठीक करें,
स्वास्थ्य वर्धक के गुण।।
कन- कन बेल की वो मिठास,
कई रोगो के नाशक है।
संजीवनी बनकर राह खड़े,
जिंदगी का यह परिचायक है।
बेल संदेश में श्रेष्ठ बने,
प्रकृति फल के शगुन ।।
रोम-रोम सब पुलकित करें,
जैसे होली के फागुन।।
बेल रस ह्रदय के धड़कन है,
बीज मन के प्रीत ।।
बाग बगीचों से संसार बनल,
और हवा पतझर से गीत ।।
बेल के खुशबू ने दिल जीता,
बन गए धड़कन की जान।।
उनका हाथ तो पवित्र था,
जैसे गंगा ,जमुना के समान।।
दरिया दिल की पहचान था वो”संसार में खुशियों का जहान” ।
धीरे-धीरे स्वाद का खजाना बना” जैसे अमृत समान ।।
करुणा के लकीरों से इस पत्थर पर लिखें।
“यह आपका एहसान”
पत्थरों से लकीरें मिटेगा नहीं।
चाहें आंधी हो या तूफान।।


“जयकृष्णा पासवान” स०शिक्षक उच्च विद्यालय बभनगामा ,बाराहाट “बांका

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version