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प्रेम वही करता इस जग में- अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

 

 

प्रेम  वही  करता  इस जग  में,
जिसे   मानवता  से  यारी  है।
आचरण है  पशुवत   जिसका,
पृथ्वी पर  जीना उसका भारी है।

सचमुच  कहूँ तो प्रेम ही जीवन,
प्रेम  ही अपनों की  पहचान है।
प्रेम  बिना  है  सब  कुछ   सूना,
हर   मानव  एक   समान   है।

प्रेम नहीं कभी बिकता जग में,
ढाई अक्षर का  बड़ा प्यारा  है।
इसमें  बसते   प्राण  सभी  के,
संसार में  यह अति  न्यारा है।

जीवन के पतझड़ के पलों में,
जब कोई प्रेमी बोता प्रेम है।
सकंठ हृदय जब द्रवित होता तो,
न रह जाता तब कोई नेम है।

आदि शक्ति की कृपा दृष्टि से,
प्रेम जीवन का आधार है।
मिलता है तब अपनों से सृजन,
यह हर दिल का प्राणाधार है।

प्रेम  वही  करता इस  जग  में,
जिसे  मानवता  से  यारी  है।
आचरण है पशुवत   जिसका,
पृथ्वी पर जीना उसका भारी है।

समग्र प्रेम दिल का स्पंदन,
यह समग्रता का पाठ पढ़ाता है।
दिल ही नहीं दिमागों में भी,
नित जीवन का राग सुनाता है।

कटुता नहीं रह जाती दिल में,
जब प्रेम उमड़ कर आता है।
अपने परिजन की बात ही क्या,
तब पराये का दिल भी भाता है।

जिसके दिल में प्रेम उमड़ता,
वह प्रेम की ही भाषा बोलेगा।
कभी उसके साथ कुछ हुआ अगर भी,
वह  प्रेम  की  ही  परिभाषा  घोलेगा।

जीवन है  प्रेम के बल पर ही,
यह नाते रिश्तों की  डोरी है।
सब कुछ हो पर प्रेम नहीं तो,
सब  नाते रिश्ते  ही  कोरी  है।

प्रेम  वही  करता  इस  जग  में,
जिसे   मानवता   से   यारी  है।
आचरण  है  पशुवत  जिसका,
पृथ्वी  पर  जीना उसका भारी  है।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड-बंदरा, जिला- मुजफ्फरपुर

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