Site icon पद्यपंकज

बचपन – स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’

Snehlata

बचपन

सुन्दर!
मनमोहक, समय,
रुका नहीं क्यों?
शायद!
रुकता नहीं वक्त,
भुला नहीं क्यों?

खेल!
मैदान, दौड़,
रूठना , मनाना,
गुड़ियों की शादी
दूल्हा और बाराती,
रेत का घरौंदा!
सब गायब,
आखिर क्यों?

प्यारी सहेलियाँ,
अल्हड़ दोस्त,
सुन्दर बागीचा,
भूरी बछिया,
चितकबरा पिल्ला,
बचपन की गलियाँ,
केवल अब ख्याल!

काश!
समय वापस
आ जाता,
बचपन फिर भाता।

उत्क्रमित कन्या मध्य विद्यालय शरीफगंज कटिहार

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version