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बरसात – देव कांत मिश्र ‘दिव्य’

Devkant

काली घटा व्योम में छाई
दृश्य देख मन मुदित कीजिए।
हँसती हुई बरसात आई
हस्त उठाकर तोय पीजिए।।

वर्षा देखो जब-जब आती
जीव-जंतु हर्षित हो जाते।
हरियाली चहुँदिशि छा जाती
जन-जन फूले नहीं समाते।।

वर्षा किसी से कुछ न लेती
परहित-भाव जगाते रहिए।
बदले में यह मधु रस देती
सहज बात को सबसे कहिए।।

वर्षा का मौसम अति प्यारा।
बने कृषक आँखों का तारा।।

देव कांत मिश्र ‘दिव्य’ मध्य विद्यालय धवलपुरा, सुलतानगंज, भागलपुर, बिहार

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