।। बाल कविता ।।
मिट्टी की हंडी में पके, चावल का भात
खाके चावल का लाड़ू, टूट गया दाँत ।
गेहूँ का सत्तु और गेहूँ का आटा
फट गया पन्नी, हमको मम्मी ने डांटा ।
मकई का भुजा और मकई की रोटी
खा-खाके रोटी, आप हो गई मोटी।
मूंग की दाल और मूंग का पापड़
पियेंगे सुड़क के,अपनी बढ़ायेंगे ताकत ।
मूली की सलाद और मूली की सब्जी
चलो स्कुल भाई पढ़के खेलेंगे कबड्डी ।
रचनाकार – पप्पु ठाकुर उर्फ विजय प्रकाश
प्रधान शिक्षक
नया प्राथमिक विद्यालय बलियापाड़ा,आजमनगर (कटिहार)
संपर्क सुत्र – 9931008876
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