Site icon पद्यपंकज

बिन बस्ता – दीपा वर्मा

Deepa verma

बच्चो की खुशी का ठिकाना नहीं है,
बस्ता लेकर शनिवार को जाना नहीं है।
पूरे हफ्ते इंतजार होगा इस दिन का ,
नाचना-गाना है,
कोई मन से बीमार नहीं है।
कसरत करेंगे,
चित्र बनाएंगे,
पढाई से आज सरोकार नहीं है।
सर भी खुश है,
मैम भी खुश है,
आज देखना कोई गृहकार्य नहीं है।
अपने मन की करनी है,
नए नाटक,
नई कहानियाँ
बुननी है,
आज बस बच्चो की सुननी है।
ना कोई सिलेबस,
ना कोई पाठ पढ़ाना है,
खेल-खेल में ही आज सब कुछ सिखाना है।
आज भारी बस्तों का बोझ हटाना है,
सुरक्षित शनिवार मनाना है।

दीपा वर्मा
सहायक शिक्षिका
रा.उ.म विद्यालय,मणिका
मुजफ्फरपुर,

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version