बुद्ध एक नाम नहीं भाव है,
जगत के लिए सत्य की राह है,
जिनके जीवन से सीख मिलती अपार है,
जहां धन वैभव का था भंडार,
सुख सुविधा का था बहार,
उस घर में भी लेकर जन्म,
न मिला मन की शांति,
छोड़ दिया घरबार,
ज्ञान की प्राप्ति लिए,
निकल पड़े वन की ओर,
जहां सुखाया तन,
रमाया साधना में मन,
पाया बोधिवृक्ष के नीचे ज्ञान,
बन गए महान,
त्याग और बलिदान की प्रतिमूर्ति समान,
सत्य का कराया भान,
आज ही के दिन किया महापरिनिर्वाण,
बुद्ध पूर्णिमा है जिसका नाम,
बुद्ध एक नाम नहीं भाव है,
जिसे अपनाकर मिलता शांति बेहिसाब है,
“बुद्धं शरणं गच्छामि”
“धम्मं शरणं गच्छामि”
“संघं शरणं गच्छामि”
बुद्ध एक नाम नहीं भाव है।
जो जगत को दिखाता मार्ग तमाम है।
विवेक कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय,गवसरा मुशहर
- मड़वन, मुजफ्फरपुर
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