पापा मेरी एक अभिलाषा,
पढ़ -लिखकर मैं बनु महान ।
आपका नाम रौशन करु जग में,
मेरी भी को अलग पहचान ||
पापा मेरी….
अलग होगी जब मेरी पहचान,
पापा खूब इतराना आप
बता देना संदेश दुनिया को
बेटी रही नहीं अभिशाप
बेटी होती घर की आन
बढ़ा देती पापा की शान।
पापा मेरी…
पढ़-लिखकर जब देश सेवा में, न्योछावर कर दू अपना जान
परमवीर चक्र प्राप्त करने का
पापा आपको मिले सम्मान।।
पापा मेरी….
जब मैं शादी योग्य हो जाऊँ
झुकने का न नाम निशान
खुद लड़के के पापा
मेरे घर बन आए मेंहमान ||
पापा मेरी…
नाम – दिव्या कुमारी
वर्ग – 10
क्रमांक -02
स्कूल – उत्क्र उच्च मा० विद्यालय सलथूआ, कुदरा,कैमूर
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