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भारत की पूर्ण पहचान हिंदी – सुरेश कुमार गौरव

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हिन्दी बनी मातृभाषा, तब भाषा की जननी थी।

इस समृद्ध भाषा ने देश को एक नई पहचान दी।।

चहुँ ओर पहुंँचकर यह जन-जन की पुकार बनी।

साहित्यकार, कवियों और नायकों की ललकार बनी।।

हिन्दी आज निशब्द है अपनी दुर्दशा को देखकर।

कभी भाषा पोषकों ने मान बढ़ाया इन्हें परखकर।।

पढ़ें, बोलें और सीखें फिर गर्व करें हिन्दी भाषा का।

इसने ही दिलाई भारत की पूर्ण पहचान परिभाषा का।।

राज-काज की भाषा बन जन-जन तक पहुँची हिन्दी।

सुनने, बोलने, पढ़ने, सीखने मन तक पहुँची हिन्दी।।

अंग्रेजियत हुई जब हिन्दी पर हावी, हुई तब अपमानित।

स्वतंत्र भारत में जन-जन के मुख से हुई फिर सम्मानित।।

सुरेश कुमार गौरव

उ. म. वि. रसलपुर, फतुहा, पटना (बिहार)

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