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मनहरण घनाक्षरी – एस.के.पूनम

S K punam

🙏कृष्णाय नमः🙏
विधा:-मनहरण घनाक्षरी

बिखरे गुलाब पुष्प,
आईं सिंहवासिनी माँ,
पथ को बुहारते ही,आप सदा रहिए।

सोलह श्रृंगार कर,
बैठी हैं आसन पर,
चरण वंदना कर,आशीर्वाद लीजिए।

फल-फूल कंदमूल,
पुष्प माला कंठहार,
धूप बत्ती होम कर,नित्य पूजा कीजिए।

फलाहार रह कर,
तन मन शुद्ध कर,
चरण पखार कर भक्ति रस पीजिए।
2

रहना है दस दिन,
हैरान हैं सोच कर,
सदा रहें साथ-साथ,अलख जगाइए।

शारदीय नवरात्रि,
भावना पावन रख,
तमस को मिटा कर,ज्योत को जलाइए।

अहंकार भष्म कर,
हिया में प्रकाश भर,
आराधना भवानी का,मंदिर सजाइए।

धात्री ही सृजनशील,
कालिका करुणामय,
निर्विकार भक्ति-भाव,नेह तो लगाइए ।

एस.के.पूनम

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