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मनहरण घनाक्षरी छंद में – जैनेन्द्र प्रसाद रवि

Jainendra

प्रभाती पुष्प
मनहरण घनाक्षरी छंद में

पति व पत्नी के बीच
नहीं करें कोई जिच,
हमेशा बना कर रखें, आपस में मेल है।

एक दूसरे के बीच
होती जो समझदारी,
तीव्र गति से दौड़ती, जिंदगी की रेल है।

उबड़- खाबड़ राहें
ठीक से पकड़ बांहें,
साथ मिल के चलना, नहीं कोई खेल है।

बैठाकर तालमेल
सदा पड़ता रहना,
तभी होता जिंदगी में,औल इज वेल है।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

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