Site icon पद्यपंकज

ममता की दुलारी – भोला प्रसाद शर्मा

Bhola

ममता की दुलारी

अजब तेरी मुस्कान थी,
चेहरा भी कमाल था।
थी पापा की परी, पर
उम्र बारह ही साल था।

चेहरे पर ओज-तेज सा,
प्रत्यक्ष खिलता गुलाल था।
गम की साया साथ न देखा,
क्यूँकि पापा भी मालामाल था।

दे सबको ऐसी खुशियाँ,
जैसे इनके साथ फिलहाल था ।
सुना दो कलियों के बीच,
मुस्कुराता भी एक लाल था।

कद भी था सुडौल उनका,
वाह! लट भी क्या बवाल था।
नजर से दिखा तेजस्वी,
स्वावलम्बन भी कार्यकाल था।

ममता की दुलारी दुबके आँचल,
मृदुला में सिमटी सियाल था।
शोहरत में चाँदनी पीछे,
धनवान जैसे रियाल था।

भाग्य की रेखा मस्त दहारे,
लगा पृथ्वी में आया भूचाल था।
शांत सी स्वभाव मुखमंडल पर,
न वाणी वाचाल था।

बिखरा हौंसला व्योम के जैसा,
सच में वह एक मिशाल था।
दो राहों के बीच निराली,
पाया आशीष भी ननिहाल था।

लगती चिंगारी वह मधुमास की,
मानो रक्षक स्वयं त्रिकाल था।
दिखा भविष्य सँवरता मुझको,
झलकता लक्ष्य भी बेमिशाल था।

अजब तेरी मुस्कान थी,
चेहरा भी कमाल था।
थी पापा की परी ,
उम्र बारह ही साल था।

-भोला प्रसाद शर्मा
प्राथमिक विद्यालय गेहुँमा(पूर्व),
प्रखण्ड-डगरूआ,
पूर्णिया (बिहार)

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version