संसार से नेह तोड़,
ईश्वर से नाता जोड़,
सिद्धार्थ से बन गए, बुद्ध भगवान हैं।
धूप – ताप सहकर,
भूखा प्यासा रहकर,
वैशाख पूर्णिमा दिन, पाए आत्मज्ञान हैं।
लुंबिनी में जन्म लिए,
गयाजी में ज्ञान पाए,
कुशीनगर हुआ- महापरिनिर्वाण है।
ज्ञान उपदेश दिए,
जग का क्लेश लिए,
बौद्ध धर्म में वर्णित- दुखों का निदान है।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि
म.वि. बख्तियारपुर, पटना’
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