माता -पिता के चरणों में संसार है,
वही तो मेरे खुशियों के आधार हैं।
गोद में जिनके खेले हमने बचपन में ,
जिनसे घर आंगन में छायी बहार हैं।
रोने पर जो मुझे सुनाती थी लोरी,
और देती थी जो अमृत की धार हैं।
सहनशीलता और ममता की मूरत वो,
हमपे लुटाती जो हर पल हीं प्यार है।
जिनके कांधे पे देखे सारी दुनियाँ,
मेरे सुख में दुख काटे जो हजार हैं ।
सदाचार की राह मुझे बतलाए जो
जिनके बिना मेरा कर्म -धर्म बेकार है।
हिम्मत,साहस,धैर्य और मर्यादा की,
पाठ पढ़ाए जिसने हमें हर बार है।।
माता- पिता को कष्ट ना देना तुम यारों
उनके चरणों में हीं स्वर्ग का द्वार है।।
स्वरचित एवं मौलिक
मनु कुमारी ,विशिष्ट शिक्षिका मध्य विद्यालय सुरीगाँव, बायसी पूर्णियाँ
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