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माहवारी खुलकर बोलने की बारी

Vivek kumar

Vivek kumar

🙏🙏माहवारी खुलकर बोलने की बारी🙏🙏
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विधाता की अद्भुत कलाकारी
नर संग पालनहार नारी
सृष्टि सृजन की जिम्मेवारी इन्हीं पर वारी
दिया समानता का अधिकार
नारी को पृथ्वी का बनाया तारणहार
निर्भर है जिसपर धारा
माता का रूप जिसने धरा
संग माहवारी का अनुपम कड़ा
यह शारीरिक प्रक्रिया बारह वर्ष पर होता खड़ा
चलता माह के पांच दिन जरा
फिर क्यूं झिझक ये संकोच तेरा
उठ खुलकर बातकर तेरा सिर क्यूं गड़ा
इसी चक्र से हर मां का गोद भरा
फिर क्यूं होता तिरस्कार
युग बदला,बदली नहीं तस्वीर
यही वजह बहन,बेटी होती मजबूर
हमें अपनी सोच बदलनी होगी
देना होगा हर स्तर पर सही ज्ञान
पहले परिवार का मिले साथ
संग स्कूल में गुरु का हाथ
समाज में मिले सम्मान
तभी माहवारी होंगी आसान
स्वच्छता हेतु पैड से काम तमाम
माहवारी स्वच्छता दिवस पर प्रण करें आम
जागरूकता अभियान से विश्व को संदेश देंगे सरेआम
न झेलना होगा अपमान
गुजर जायेंगे वो दिन समान
धन्यवाद
विवेक कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय,गवसरा मुशहर
मड़वन , मुजफ्फरपुर

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Vivek Kumar

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