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मैं खुश हूं कि – रंजीत कुशवाहा

Ranjeet Kushwaha

मैं खुश हूं कि
क्योंकि मैं थोड़ा बहुत कमा लेता हूं,
यानि बेरोजगार तो नहीं हूं ,
जो बेरोजगार लोग होंगे उनका जीवन
यापन कितनी कठिनाई से गुजरती होगी।

मैं खुश हूं कि
भले ही हमें सुबह सुबह
दफ्तर की दौड़ लगानी पड़ती है ,
बोस की झिड़की सुननी पड़ती है,
पर जिनका रोज का धंधा होता होगा,
उन्हें कितना संघर्ष करना पड़ता होगा।

मैं खुश हूं कि
मैं कभी कभी बीमार पड़ता हूं,
यानि ज्यादातर सेहतमंद ही रहता हूं,
अक्सर बीमार रहने वाले को कितने
परेशानियों से गुजरना पड़ता होगा।

मैं खुश हूं कि
मुझे साधारण जीवनसंगिनी मिली
जिनकी समय पर शादी ही नहीं
हो पाईं,वे किस तरह अकेलापन
जिंदगी व्यतीत करते होंगे।

मैं खुश हूं कि
मैं थोड़ा बहुत पढ़ा लिखा हूं
जो किसी वज़ह से पढ़ नहीं पाते हैं
उन्हें जीवन में कितनी कठिनाईयां
होती होगी।

मैं खुश हूं
क्योंकि मुझे अपने घरों का
काम भी करना पड़ता है,
जिनके घर ही नहीं होते हैं,
वे किस तरह खानाबदोश कि
जिंदगी गुजारते होंगे ।

रंजीत कुशवाहा

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