अबला नहीं, मैं नारी हूँ।
करुणामयी , कल्याणी हूँ।।
लज्जा सदैव सिरमौर रहा,
अंतस में है कुछ खौल रहा ,
मैं दबी राख, चिंगारी हूँ।
अबला नहीं, मैं नारी हूँ।
करुणामयी , कल्याणी हूँ।।
दीन कातर पुकार हूँ मैं,
ममता की कोमल छाँव हूँ मैं,
श्रद्धा विश्वास का भाव हूॅ मैं,
ममतामयी सृष्टि सारी हूँ।
अबला नहीं, मैं नारी हूँ।
करुणामयी , कल्याणी हूँ।।
रागों में मेघ मल्हार हूॅ मै ,
वीणा की झंकार हूँ मैं ,
ऋतु बसंत-बहार हूँ मैं,
प्रेरणा, पूज्य, प्रतिकारी हूँ।
अबला नहीं, मैं नारी हूँ।
करुणामयी , कल्याणी हूँ।।
साहस का संचार हूँ मैं,
हर आँगन का श्रृंगार हूँ मैं,
स्नेह ,शौर्य, उद्गार हूँ मैं,
मैं शत्रुंजयी भयकारी हूँ।
अबला नहीं, मैं नारी हूँ।
करुणामयी, कल्याणी हूँ।।
प्रथम नागरिक पहचान हूँ मैं,
राजनीति की शान हूँ मैं,
विकसित भारत की आस हूँ मैं,
स्वावलंबी स्वाभिमानी हूँ,
अबला नहीं, मैं नारी हूँ।
करुणामयी , कल्याणी हूँ।।
अंतरिक्ष की पहचान हूँ मैं,
क्रीड़ा में, शिरोधार्य हूँ मैं,
प्रगति की सूत्रधार हूँ मैं,
चिकित्सा की, परिचारी हूँ।
अबला नहीं, मैं नारी हूँ।
करुणामयी, कल्याणी हूँ।।
मत छेड़ो, मेरा मान करो,
तुम शक्ति का, सम्मान करो,
वसुधा पर, उपकार करो,
मैं समता की, अधिकारी हूँ।
अबला नहीं, मैं नारी हूँ।
करुणामयी, कल्याणी हूँ।।✍️
प्रियंका कुमारी (पाण्डेय)
उ. म. वि. बुढ़ी
कुचायकोट, गोपालगंज, बिहार