मैं हूँ हिन्दी भाषा,
यही है मेरी परिभाषा,
मैं सबके मुख पर रहती,
मैं हूँ मातृभाषा
मैं हूँ हिन्दी भाषा।
मेरी जननी संस्कृत भाषा,
जो होती देवों की भाषा,
मैं हिन्दी सबकी हूँ शान,
सब मुझपे होते कुर्बान।
सबका हूँ मैं स्वामिमान,
सबकी हूँ मैं पहचान।
हिन्दी है देश के माथे की बिन्दी,
सब भाषाओं में सर्वश्रेष्ठ हिन्दी,
यही है हमारी राजभाषा,
सबको पहनाती ताज ये भाषा।
मैं हूँ हिन्दी भाषा।
अनेकता में एकता का मान सिखाती,
सबसे मिल-जुलकर रहना सिखाती।
मैं ही सभ्यता, मैं ही सस्कृति,
सबकी रीति, सबसे है प्रीति।
हिन्दी है आन, बान, शान,
देशवासियों की है ये जान,
बरकरार रहे सबका स्वाभिमान
अपनी मातृभाषा पर है गुमान
सबका बचाये रखे जो मान
अपनी बोली, अपना देश महान।
हमारी अस्मिता, हमारा अरमान,
हमारी भाषा, हमारा सम्मान,
जन मानस की मैं भाषा हूँ,
हर मानस की मैं आशा हूँ।
14 सितम्बर को हिन्दी दिवस मनाया जाता है,
राष्ट्र प्रेम, राष्ट्रभाषा में ही दर्शाया जाता है,
हर दिल में श्रद्धा से भाती हूँ,
गीत खुशी के सुन्दर गाती हूँ।
हिन्दी है हम, हिन्दुस्तां हमारा, सारे जहाँ में परचम हमारा,
भाषाओं की रंगोली है,
मधुर, मनमोहक, ये बोली है
मैं हूँ हिन्दी भाषा।
रीना कुमारी
पूर्णियाँ बिहार