राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस
अंतरिक्ष की बात अलग है, इसकी सीमा ज्ञात नहीं।
धरती अम्बर संग मिलें तो, बदले कुछ हालात कहीं।।
अगणित तारें ग्रह नक्षत्र, नभ में दिखते रहते हैं।
धरती के जीवन की हरपल, गाथा लिखते रहते हैं।।
रही अनंत कहानी इनकी, जुड़ी हुई जज्बात रही।
धरती अम्बर संग मिलें तो, बदले कुछ हालात कहीं।।
सूर्य चंद्रमा और ग्रहों से, सीधे हम-सब जुड़ते हैं।
दैनिक जीवन में हम हरपल, प्रभाव हमपर पड़ते हैं।।
उसी खोज में निकल चलें है, लेकर हम बारात वहीं।
धरती अम्बर संग मिलें तो, बदले कुछ हालात कहीं।।
इसी कड़ी में चंद्रयान है, भारत का गौरव गाया।
सफल उतरकर छुपे चंद्र की, दर्शन सबको करवाया।।
शुरू हुआ है अभी हमारा, अंतरिक्ष की बात सही।
धरती अम्बर संग मिलें तो, बदले कुछ हालात कहीं।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्रधान शिक्षक
प्राथमिक विद्यालय कालीगंज उत्तर टोला, बिहटा, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

