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रिश्ते – धीरज कुमार

Dhiraj

हर किसी से सीधा रिश्ता किसी का जुड़ा है नही।

हर किसी के लिए सीधे जुड़ कर रिश्ते बनाते हैं नहीं ।

कुछ रिश्ते कब ,कैसे और कहां बनेंगे ये ईश्वर की मर्जी है।

हम इंसान इसकी जानकारी जान सकते नहीं।

यहां अधिकतर रिश्ते ईश्वर के द्वारा बने हैं कुछ इंसानों के रिश्ते जोड़ कर बने है।

जिन रिश्तो में स्वार्थ,लालच और मतलब आ जाए वो रिश्ते ज्यादा दिन तक टिकते है नहीं ।

जिस घर में जन्म से रिश्ते की शुरुआत हुई ,उसके बाद कई रिश्ते जाने अनजाने बन जाते हैं।

बहुत सारे लोग रिश्तो को दिलों जान से निभाते हैं पर कुछ में तो इंसानियत भी है नहीं ।

मां – बाप ,सगे – संबंधी के मरने पर भोज खिलाते हैं पर जीते जी कुछ तो उन्हे ढंग से भोजन तक कराते है नहीं ।

पर आज भी हम हैं क्योंकि रिश्ते जमीन से जड़ द्वारा मजबूती से जुड़े हैं कमजोर धागों की तरह कच्चे है नहीं ।

सबसे बड़ा रिश्ता एक दूसरे से इंसानियत का रखें, रिश्तो में मिठास बनी रहेगी वैर मनमुटाव कभी होगा नहीं ।

अच्छा इंसान बने अच्छी सोच रखे,बच्चो को संस्कार दे,हर रिश्तों का ख्याल करेंगे ।

मतलब और स्वार्थ के चश्मे को उतार कर फेंक कर देखे दुनिया में हर रिश्ता लगेगा पवित्र और सही।

धीरज कुमार
उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिलौटा
भभुआ( कैमूर

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