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लें सबक प्रदूषण से- अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

मजा नहीं अब  सजा  मिलेगी,
नित बढ़ते  प्रदूषण के  खतरे से।
होश  में  आओ   हे   मानव,
रोग फैल   रहा दूषित  कचरे से।।

वायुमंडल  भी   हुआ   प्रदूषित,
जीवन शैली भी अब बिगड़ रही।
ग्लोबल वार्मिंग का अब खतरा मँडराया,
ग्लेशियर  भी  तेजी  से  सिकुड़   रही।।

हैं   खतरे   बहुत   प्रदूषण   के,
सब प्राणियों के   कष्ट शीघ्र  हरें।
इससे  व्यथित   सभी  जन   हैं,
हो  जितना जल्द दुःख  दूर करें।।

मानव ही नहीं जग के सारे प्राणी,
सभी  विकल   इससे   होते   हैं।
पेड़- पौधे  इससे घोर  दुःख पाते,
सभी  सजीव  भी  इससे  रोते  हैं।।

मोक्षदायिनी गंगा पर खतरा छाया,
निरंतर  गंगा  माता   सिकुड़  रही।
जनमानस में निरंतर  भय  जागा है,
पर्यावरण भी तेजी से  बिगड़ रही।।

कृत्रिमता    में   न   पड़ें    अधिक,
अब   प्रकृति  से नाता  शीघ्र  जोड़ें।
जन्म    हुआ    किस   कारण  भी,
अपनी समझ से इधर भी रुख  मोड़ें।।

वाहन   का   अति     प्रदूषण   भी,
अब सिर चढ़कर    खूब  बोल रहा।
यह   देख   बड़ा   भय   होता   है,
मानव  का   भी  धीरज  डोल  रहा।।

नदियाँ    भी    प्रदूषित    हो   रहीं,
नित   बढ़ते  प्रदूषण के खतरे से।
जल   भी   न   अब    स्वच्छ  रहा,
कल कारखानों  के दूषित कचरे से।।

सिमट    रहीं    हैं   नदियाँ    सारी,
कुछ  तो  उपाय हमें  करना  होगा।
सभी  जीवों     की    रक्षा    हेतु ,
प्रदूषण  से शीघ्र  निपटना  होगा।।

अमरनाथ त्रिवेदी

पूर्व प्रधानाध्यापक

उत्क्रमित उच्चतर विद्यालय बैंगरा
प्रखंड- बंदरा, जिला – मुज़फ्फरपुर

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