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वर्षा और सावन- अमरनाथ त्रिवेदी

Amarnath Trivedi

वर्षा और सावन

सावन आया बड़ा सुहावन ,
लगता है इसमें मनभावन ।
इस माह होते कई पावन ,
ये दिल को लगते बड़े सुहावन ।।

मेघ गर्जन होते हैं अकासी ,
डरते हैं पृथ्वी  के वासी ।
मन न करो तुम उदासी ,
तुम तो हो सावन के अभिलाषी ।।

खूब बदरा सावन में बरसे ,
हिया में सपने भी तरसे ।
सारे रिश्ते जग में सरसे ,
जोड़ूँ हर रिश्ते भी कर से ।।

आया सावन का वह झूला ,
जिसमें मन है सबका भुला ।
यह सावन का है मूला ,
सबका मन खुशियों से फुला ।।

सावन में सब   है अच्छाई ,
नहीं कोई लगती है बुराई ।
नभ में शोर मचती सुखदाई ,
पवन चलती है पुरवाई ।।

यह है सावन की बहारें ,
बरसे सावन की फुहारें।
गरजे मिलकर बादल सारे ,
ये लगते नभ में कितने प्यारे ।।

अमरनाथ त्रिवेदी
पूर्व प्रधानाध्यापक
उत्क्रमित उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगरा
प्रखंड बंदरा , जिला मुजफ्फरपुर

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