खुब बरसों प्यारी वर्षा रानी।
पग-पग कर दो पानी-पानी।।
बादलों से मोरों को नचा ओ।
मेंढक की टर्र – टर्र सुनाओ।।
पेड़-पौधों में हरियाली दो।
जीव-जंतु में खुशहाली दो।।
जब धरा पर हो पानी-पानी।
तुम घर चले जाना वर्षा रानी।।
यदि करते रहोगे आप मनमानी।
तो याद आ जायेगी अपनी नानी।
रचनाकार- रणजीत कुशवाहा
प्राथमिक कन्या विद्यालय लक्ष्मीपुर रोसड़ा समस्तीपुर
(बिहार)
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