लगन और मेहनत के बल पर बंजर में फ़सल उगाएंगे।
विजयी विश्व तिरंगा को हम आसमां में लहराएंगे।।
1971 के रण को हमने चंद दिनों में जीत लिया,
कराची और लाहौर पहुंचकर हमने सीमा खींच लिया।
कायर पाकिस्तानियों को हम कारगिल की याद दिलाएंगे।।
पंचशील सिद्धांत लाकर दुश्मन ने अपनी चाल चली,
शांति और भाईचारे की आड़ में सीमा पर उसकी दाल गली।
1962 वाली गलती को हम फिर से नहीं दोहराएंगे।।
भगत, आजाद, सुभाष गए जन-जन में चेतना लाकर,
गांधी ने बलिदान दिया था तीन गोलियां खाकर।
जलियांवाला बाग कांड सदियों तक खून खौलाएंगे।।
गोरों के संग खूब लड़ी वह झांसी वाली रानी थी,
शिवाजी, राणा प्रताप सा उसने लिखी कहानी थी।
वीर सपूतों की गाथाएं घर घर में अलख जगाएंगे।
विजयी विश्व तिरंगा को हम आसमां में लहराएंगे।।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
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