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विधा- रूप घनाक्षरी: जैनेन्द्र प्रसाद रवि

Jainendra Prasad Ravi

किसान
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फसल बोने के पूर्व,
खेतों की जुताई हेतु,
सुबह ही चल देते, हल बैल ले के संग।

हरियाली देख कर,
चेहरे हैं खिल जाते,
किसानों के हो जाते हैं, पुलकित अंग-अंग।

किस्मत के साथ-साथ,
ऋतुएँ भी दगा देतीं,
यहाँ के मौसम से वे, लड़ते हैं सदा जंग।

भविष्य के सपने भी,
दिल में हिलोरे मारे,
उम्मीद के साथ-साथ, उठी मन में उमंग।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना

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