वीर बन, युद्ध कर
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स्थिति परिस्थिति कितने भी हो प्रतिकूल
तुम अपनी आत्म शक्ति पहचान, मत भूल
चाहे राह में हो अनेकों…….. शूल ही शूल
तू युद्ध कर, उड़ा अवरोधों को बनाकर धूल
घना तिमिर नाकामी का छा रहा पर मत भूल
आ रहा है लेकर रवि……आशाओं की सवारी
होगी परिस्थिति फिर देखना, अपने अनुकूल
सुंदर-सुखद-सवेरा आज नहीं तो कल आएगा
उम्मीदों के झूला पर तू, हो बेफ़िक्र खूब झूल
रख भरोसा, होगी सत्य की जीत
लक्ष्य अंबर में सूरज सा चमकेगा
उठ चल लिख एक नया इतिहास
तेरी विजयगाथा खिलेगा बनकर फूल
डर मत वीर बन, युद्ध कर, युद्ध कर
रख भरोसा खुद पर, बन सर्व सामर्थ्य
कि कर अपने हौसलों को इतना बुलन्द
सफलता घुटने टेक कर करे तुझे कुबूल।
मधु कुमारी
कटिहार
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