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शरणागत की रक्षा – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

प्रभाती पुष्प
जलहरण घनाक्षरी छंद

बक्सर में ऋषियों के
यज्ञ को सफल किया,
अनुज लखन संग, ताड़का को मार कर।

सुग्रीव को प्यार किया,
बालि का संघार किया,
मारीच-सुबाहु जैसे, पापियों को तार कर।

गौ,द्विज, बालक पर
रखते हैं कृपा दृष्टि,
भक्तों का कल्याण किया, धरती का भार हर।

चांडालों ने अबला की
सम्मान पर वार किया,
द्रोपदी-अहिल्या आई, शरण में हार कर।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

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