मनहरण घनाक्षरी छंद
जब कभी युद्ध होता,
शांति को मानव खोता,
द्वंद में विनाश छिपा, संतों का है कहना।
प्रेम भाईचारा जैसा,
लड़ाई विकल्प नहीं,
शांति प्रिय लोग चाहें, मिलजुल रहना।
हारने का डर सदा,
कायरों को दहलाता,
अधिकार हेतु युद्ध, वीरों का है गहना।
सम्मान बचाने हेतु,
देना पड़े सिर चाहे,
अनादर अपमान, पर नहीं सहना।
जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना
0 Likes