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शिक्षक को सम्मान चाहिए – विवेक कुमार

Vivek

राही को जो राह दिखाए,
गिरते को ऊपर उठाए,
कच्ची मिट्टी से घड़े बनाए,
धार उनकी कुंद बनाए,
अपनी बिना परवाह किए,
छात्रों का भविष्य बनाए,
मुसीबत आने पर भी,
डिगते नही पथ से कभी,
पथ प्रदर्शक,ज्ञान के दाता,
परखुशी इन्हें खूब है भाता,
सच्चाई की राह दिखाते,
घुलमिल वो सभी से जाते,
त्याग और बलिदान की मूरत,
इनका है राष्ट्र को जरूरत,
देते सेवा हरपल हरदम,
फिर भी जोश न होता कम,
अपने सारे दुख दर्द सहते,
मुंह से कभी उफ न करते,
इतने सारे जतन है करते,
फिर क्यूं इन्हें अपमान है मिलते,
दिल में छुपी एक कसक है,
शिक्षक दिवस पर बयां करते है,
जब गुरु होते है राष्ट्र निर्माता,
प्रताड़ित क्यूं इन्हें किया जाता,
छात्र हित हेतु सर्वस्व करते कुर्बान,
इनपे होना चाहिए राष्ट्र को अभिमान,
स्वाभिमान का इन्हें दान चाहिए,
शिक्षक को सम्मान चाहिए।
शिक्षक को सम्मान चाहिए।

विवेक कुमार
(स्व रचित एवं मौलिक)
उत्क्रमित मध्य विद्यालय,गवसरा मुशहर
मड़वन, मुजफ्फरपुर (बिहार)

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