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शिक्षक दिवस – हर्ष नारायण दास

Harsh Narayan Das

शिक्षक नहीं है सामान्य व्यक्ति, वह तो शिल्पकार होता है।
गीली मिट्टी को सँवारने वाला कुम्भकार होता है।।
उसने ही श्रीराम गढ़े हैं, वह ही श्रीकृष्ण निर्माता।
वह ही समर्थ रामदास है,क्षत्रपति सा शिवा प्रदाता।
दयानन्द, विवेकानन्द को उसका शिल्प सँवार देता है।।
वह साँचा होता है जिसमें, महामानव ढाले जाते हैं।
और राष्ट्र के नररत्नों के सुखद स्वप्न पाले जाते हैं।
छात्रों में मानव मूल्यों का वह ही प्रवेश द्वार होता है।।
उसके चिन्तन पर, चरित्र पर सम्राटों के सिर झुकते हैं।
धर्म, समाज, राष्ट्र के उलझे प्रश्नों के उत्तर मिलते हैं।
श्रेष्ठ राष्ट्र-निर्माता होता,वह ऋषितुल्य विचार होता है।।
लेकिन उसके शिल्पकार को, जाने क्या हो गया इन दिनों।
उसका चिन्तक और मनीषी जाने क्यों सो गया इन दिनों।
उसके गौरव पर, गरिमा पर आए दिन प्रहार होता है।।
वह व्यसनों का दास हो गया, और अर्थ ही लक्ष्य बनाया।आचारों से शिक्षण देने का आचार्य नहीं रह पाया।
शिक्षक दूषित राजनीति का आए दिन शिकार होता है।।
छात्र कहाँ सम्मान करेंगे, उनसे यारी गाँठ रहा है।
अभिभावक आदर क्या देंगे,स्वार्थसिद्धि का दास रहा है।
शिक्षक”शिक्षक-दिवस” मनाए ,यह उल्टा व्यवहार होता है।।
“शिक्षक-दिवस”तभी सार्थक है,शिक्षक अपना मूल्य बढ़ाए।जनमानस भी श्रद्धानत हो उसके प्रति आभार जताए।
शिक्षक श्रद्धापात्र जहाँ है,वहाँ राष्ट्र निखार होता है।।
आएं विवेकानंद, चन्द्रगुप्त खोज निकालें, उसे छत्रपति बनाएँ।
भारत को दुनिया में विश्वगुरु बनाएँ।।

प्रेषक–हर्ष नारायण दास
प्रधानाध्यापक
मध्य विद्यालय घीवहा(फारबिसगंज)
अररिया
मो०न० 8084260685

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