सजल
सुमेरु छंद
मात्रा — 19
यति — 12,7
समांत — ऊल
पदांत — से हम
1222 122 , 2 122
चलो सबको सजा दें , फूल से हम ।
रखेंगे दूर जग को , शूल से हम ।।
धनी भरते सदा घर , को धनों से ।
समझते हैं इसे तो , धूल से हम ।।
न भूलें आज हम निज , धर्म प्यारे ।
तभी तो पास हैं अब , मूल से हम ।।
हमारी नाव आई , है किनारे ।
अभी भी दूर हैं कुछ , कूल से हम ।।
न सोचो अब कि होगा , क्या हमारा ।
करेंगे अब न फिर यह , भूल से हम ।।
झगड़ते हैं सभी बिन , बात के ही ।
कभी मत बात को दें , तूल से हम ।।
सुधीर कुमार , किशनगंज , बिहार
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