सपने लेकर वर्षा आई- गीतिका
सपने लेकर वर्षा आई।
जीवन की बगिया मुस्काई।।
हरी चुनरिया ओढ़ी धरती।
तरुवर में आई तरुणाई।।
पर यह कभी भयानक होती।
मिलती इससे भी रुसवाई।।
गीला रहना उचित नहीं है।
रहे कीटाणु सक्रिय भाई।।
पाचन शक्ति मंद है पड़ती।
बन जाती कभी आपदाई।।
विषधर का खतरा बढ़ जाता।
जल जमाव को व्यर्थ बनाई।।
मच्छर का लावा बढ़ जाती।
स्वास्थ्य समस्या घर-घर लाई।।
उल्टी बुखार दस्त भयंकर।
जिससे होती हाथापाई।।
गर्म सदा हीं हल्का भोजन।
रखती सब संकट भरमाई।।
अभी वक्त है चेतो मानव।
रखना भी है साफ सफाई।।
रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978
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