गर्मी दीदी के जाते ही
सर्दी रानी आयी।
हमें सताती हमें डराती
रौब जमाती आयी।
हमें बचाने को हैं उनसे
रजाई भाई आये।
उनके पोते स्वेटर-मफलर
भी तशरीफ लाये।
फिर भी सर्दी मौका पा कर
अपना रंग जमाती ।
ऐसे में हम बच्चों को
गर्मी दीदी याद आती।
काश एक बार फिर से
मेरी गर्मी ‘दी’ आ जाए
ऐसी जोर की चपत लगाए
सर्दी अपनी अकड़ भूल जाए।
अनुप्रिया (प्रखंड शिक्षिका)
मध्य विद्यालय करबलाधत्ता
फारबिसगंज, अररिया
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