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सहज धरा को स्वर्ग बनाएँ – अंजनेय छंद गीतिका – राम किशोर पाठक

सहज धरा को स्वर्ग बनाएँ – अंजनेय छंद गीतिका

आओ मिलकर देश सजाएँ।
जन-मानस को पाठ पढाएँ।।

सभी भेद का त्याग करें हम।
सबको सबसे गले लगाएँ।।

होड़ मची बस सुविधाओं की।
अर्थ उसी का हम समझाएँ।।

प्रेम बिना यह जीवन कैसा।
अर्थ प्रेम का सरस बताएंँ।।

मानव भटका बन अज्ञानी।
उनको सच की राह दिखाएँ।।

शिक्षा की हीं अलख जगाकर।
प्रेम पुष्प को हम विकसाएं।।

रसना, घ्राण, चक्षु हो दूषित।
हृदयरोग सारे भर आएँ।।

सत्य सीख अब देना सबको।
सौम्य भाव को हम उपजाएँ।।

घेर तिमिर अज्ञान न पाए।
सतत उजाला हम फैलाएँ।।

“पाठक” कहता भूल सुधारें।
सहज धरा को स्वर्ग बनाएँ।।

रचयिता:- राम किशोर पाठक
प्राथमिक विद्यालय भेड़हरिया इंगलिश, पालीगंज, पटना, बिहार।
संपर्क – 9835232978

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