Site icon पद्यपंकज

सारा जग परिवार – जैनेन्द्र प्रसाद रवि’

Jainendra

गर्म-गर्म हवा चली,
झुलस रही है डाली,
फल-फूल-पत्ते बिना, वृक्ष ये बेकार हैं।

माझी बिना मझधार-
नैया डोले डगमग,
दरिया की बीच धारा, टूटा पतवार है।

अपना भी मुँह मोड़े,
शरीर भी साथ छोड़े,
जीवन में खुशी बिना, सूना ये संसार है।

ग़रीबों- बेसहारों को,
अपना बना के देखो,
संत-प्रेमियों का सारा-जग परिवार है।

जैनेन्द्र प्रसाद रवि’
म.वि. बख्तियारपुर, पटना

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version