विद्या:-मनहरण घनाक्षरी
व्योम,धरा प्रभा भरी,उष्णता से शीत डरी,
दूर किया थरथरी,यही पहचान है।
अश्व पर बैठ चले,संसार में ज्योत जले,
फल,फूल खुब फले,सूरज की शान है।
गगन चमका तारा,भुला गिनती सितारा,
अंशुमन है निराला,स्वर्ण-रश्मि आन है।
विपुल विभुति नाथ,विलीन विकार साथ,
शस्य श्यामल धरती, सूरज महान है।
एस.के.पूनम(स.शि.)फुलवारी शरीफ,पटना।
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