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हमारी हिंदी – मधु कुमारी

चाहे बोलें कोई भी भाषा,अपनी तो पहचान है हिंदी

सरल,सहज, अनुपम है हिंदी,हम “हिंदी”की जान है हिंदी 

“अ”अनपढ़ से होकर शुरू, “ज्ञ”से ज्ञानी बनती हिंदी

क्या कहें कैसी है हिंदी,हां! गागर में सागर है हिंदी

क्यों न आज एक प्रण उठाएं, बोलें, लिखें,सिखाएं हिंदी

सभ्य,सुशिक्षित, जिम्मेदार बन,दिल से,मन से अपनाएं हिंदी

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