समृद्ध विरासत है भाषा की,जिसकी मैं पहचान हूँ,
जिस सलिल हिलोरित बहुभाषा,वह हिन्दी मैं जलधाम हूँ।
मैं भाषा को रुचिर बनाती,मैं शब्द श्रृंगार हूँ,
राष्ट्र-गौरव गाथा की ,मैं हिन्दी उद्गार हूँ ।
सर्वभाषा सहगामी हूँ मैं,सबका मैं सम्मान हूँ,
फलित-फुलित हूँ मैं वह हिन्दी,जो सबका स्वाभिमान हूँ।
मैं षडयंत्र शिकारित,अतीत कालिख पुतित हूँ,
पर हूँ मैं निडर,अविचलित, संघर्षरत,पुष्पित ललित हूँ।
मैं हूँ अविरल प्रवाहिनी हिन्दी,बहती बहुदेश में,
भारत का यशगान कराती,जन-जन के चेत में।
मैं हूँ प्रयोजनमूलक,मैं आशावादी हूँ,
रूढ़िवादिता का हूँ मैं दुश्मन,मैं ज्ञान अंशुमाली हूँ।
मैं कवि की लेखनी हूँ, लेखक के कलम की धार हूँ,
उनकी महिमा का करती मैं गायन, मैं उनका आभार हूँ।
मैं देश की आजादी का बीजमंत्र हूँ, देशभक्ति का संवाद हूँ,
अखंड भारत प्रतिज्ञारत हिन्दी,साहित्य सूत्रधार हूँ।
(बिजेन्द्र कुमार, विद्यालय अध्यापक)
कारी अनंत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
मधैली बाजार शंकरपुर मधेपुरा ।

