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हम सब धरती की संतान हैं – नूतन कुमारी

विश्व को बनाएं सुसंगठित परिवार,
अपनी धरा को दें खुशियाँ अपार।
हर चेतना में करें नव ऊर्जा का संचार,
धर्म और सहिष्णुता का करें विस्तार।
धरा की गरिमा, एकमात्र जगत कल्याण है –
क्योंकि हम सब धरती की संतान हैं।

हर मानव को हो मानवता से प्यार,
जग कल्याण हेतु आवश्यक यह विचार।
प्रेम, दया, सम्मान से बढ़कर न कोई उपहार,
सभी जीवों के प्रति हो शुभता व्यवहार।
भावों का दीप जला मन में – सर्वश्रेष्ठ काम है,
क्योंकि हम सब धरती की संतान हैं।

धरा का मान बढ़ जाए, करें ऐसे कार्य,
मनन-चिंतन करें, करें दूर मन के अंधकार।
धर्म की राह पर चलें सदैव बारम्बार,
स्वयं में स्वयं को ढूंढ़ें, मिले जीवन का सार।
अलौकिक दिव्य शक्तिपुंज मन में विद्यमान है,
क्योंकि हम सब धरती की संतान हैं।

अमिट सी छाप छोड़ दो, निभाओ हर किरदार,
धारण करो अपने हृदय पर परम सत्य अलंकार।
कसिदे की कमी और त्याग दो मिथ्या अहंकार,
करो शुभ कर्म – खुल जाएंगे निश्चित मोक्ष के द्वार।
मनुष्यता होना ही हमारा अभिमान है,
क्योंकि हम सब धरती की संतान हैं।

नूतन कुमारी, मध्य विद्यालय चोपड़ा बलुआ, पूर्णिया, बिहार

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