हिंदी – हमारी अस्मिता की पहचान
हवा में गूंजे इसकी ध्वनि,
धरती पर छाए इसकी गगन,
हर स्वर में बसती है संस्कृति,
हिंदी से सजता भारत-वन।
संस्कारों की यह है गाथा,
जन-मन की सबसे सच्ची व्याख्या,
आशा-विश्वास की सरिता है,
जोड़े हर दिल, मिटाए दुराव का रेखा।
यह वेदों की मधुर वाणी है,
यह संतों की अमर कहानी है,
राम, कबीर, तुलसी, सूर की,
यह अमरितमयी पहचान पुरानी है।
नव पीढ़ी को दिशा दिखाए,
जड़ों से जुड़ना यह सिखलाए,
विकास की राहों पर चलते हुए भी,
मूल्यों की ज्योति हमें दिखलाए।
ये केवल भाषा नहीं, धरोहर है,
रग-रग में बसी हुई आत्मा है,
हमारी अस्मिता, हमारी पहचान,
हिंदी ही जीवन की परिभाषा है।
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