हिन्दी है पहचान हमारी
यही हमारी धड़कन है।
हिन्दी में ही मैं पला – बढ़ा
इसी को सबकुछ अर्पण है।।
कार्यालय या सचिवालय हो,
हिन्दी में ही , उसके सेहन हैं।
कर्मचारी या अधिकारी हों
सभी तो इसके ही रहजन हैं।।
हिन्दी देती है, साथ हमारा
इसी से सब – कुछ अर्जन है।
हिन्दी है भाषाओं का उद्गम,
फिर इससे कैसी अनबन है।।
करके हिन्दी की ही दुर्दशा
अंग्रेजी का हो रहा चलन है।
देखकर हिन्दी की, ये दशा
दिल में भी हो रहा चुभन है।।
एम० एस० हुसैन “कैमूरी”
उत्क्रमित मध्य विद्यालय
छोटका कटरा
मोहनियां, कैमूर, बिहार
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