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हिन्दी तू बन अपराजिता – RAM NARESH YADAV

Note: UMS BATHNAHA

हिन्दी तू बन अपराजिता

     ✍ रामनरेश यादव

हिन्दी तू बन अपराजिता

हीनता का बोध छोड़

जन-जन का बन हृदयवासिनी

अंग्रेजी का पीठ तोड़

चिंतन का तू वाहक बन

विज्ञान का प्रसार कर

समता का संदेश फैला

परिवर्तन का हूंकार बन

चिकित्सा में कौशल निखार

रच रसायन की परिभाषा

भौतिकी की अवधारणाओं में

सिद्धांतों का आधार बन

न्याय के मंदिर में तू

सच का पहरेदार बन

स्वयं वकालत कर सके फरियादी

स्वर इतना असरदार बन

साहित्य से सिनेमा‌ तक

भाषाओं का सरताज बन 

अंग्रेजीदाँ भी सिर झुकाए

इतना ऊंचा परवाज कर

साज बन संगीत का 

हर सोच का आकार बन

बांध ले स्नेह के बंधन में

सबके हृदय पर राज कर

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