कुसुम किसलय खिलते हैं
कुंञ्ज उपवन वाग में
कोकिल मधुर कूकते हैं
आम्र मंजर वाग में
आग लगते हैं पलाश के
फाग के ही मास में
हवा मादकता लिए
झूमते हैं फाग में
तन भींगते हैं यहाँ
रंग से ही फाग में
मन भींगते हैं यहाँ
प्रेम और अनुराग में
तन प्रफुल्लित
मन प्रफुल्लित
बसंत के इस पर्व में
ईश अनुकंपा बरसे
रंगों के इस पर्व में ।
होली है
संजय कुमार
जिला शिक्षा पदाधिकारी अररिया
(बिहार)
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