Site icon पद्यपंकज

ग़ज़ल

Dr Vinod Kumar

ग़ज़ल

जब हम अपने पर आए
वो भी अपने घर आए।
उनकी भोली सूरत पर
पता नहीं क्यों मर आए।
पछुआ हवा के झोंकों पर
अदबी विरासत धर आए।
चैन कहाँ मिल पाएगा
उससे कहो कि घर आए।
घुन अंदर ही रहता है
उसको देके ज़हर आए।
गाँव में सब अपने है
हम भी देख शहर आए।

डॉ. विनोद कुमार उपाध्याय
राजकीय आदर्श मध्य विद्यालय,
अहियापुर, अरवल

0 Likes
Spread the love
Exit mobile version