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बौद्धिक विचारों के दूत-सुरेश कुमार गौरव

Suresh kumar

बौद्धिक विचारों के दूत

अनुभव को अपनी अभिव्यक्ति पर पूरा गर्व का यह अवसर है
भाषा-शब्द और भावों के मेल से कुछ कहने का सुअवसर है।

सृजन हो चाहे किन्हीं रुपों और साजों में, हृदय में झलकता है
नमन इस मंच को सार्थकता लाते और हम सबसे निकटता है।

शिक्षा जगत से जुड़ने वाले पारखी इसमें भरे-पड़े और जुड़े हैं
मंच की नींव प्रदानकर्ता सभी आगे बढ़ने को सदैव ही अड़े हैं।

मंच के सभी नींवकर्ताओं का अनूठा प्रयोग आकर्षित करती है
शिक्षार्थियों की नव चेतना नई दिशा स्फूर्ति प्रदान कर जाती है।

कभी न हों हम अनभिज्ञ एक दूसरे के उद्गार और व्यवहार से
उत्कंठा है बांधे रखूं खुद के ज्ञान-विचारों और सद्व्यवहार से।

जब से जन्म हुआ इस मंच का लगता है मेरे मन का उद्गार है
जब से हूं इस मंच के साथ अभिव्यक्ति पर गर्व का अनुभव है।

बौद्धिक विचारों संग शिक्षालयों की नींव संग चलते ही जाना है
हे बौद्धिक विचारों के दूत, मिलकर शिक्षा का अलख जगाना है।

कभी न रुकें कभी न झूकें इस ज्ञानमंच से कर्मवान बन रहना है
लक्ष्य भले ही लंबा हो पर शनैः-शनैः ज्ञान का दीपक जलाना है।

✍️सुरेश कुमार गौरव
स्वरचित मौलिक रचना
@सर्वाधिकार सुरक्षित

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