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मैं हूँ नारी- मधु कुमारी

Madhu

मैं हूँ नारी
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मैं हूँ नारी
एक धधकती सी चिंगारी
प्रगति पथ की हूँ अधिकारी
सृष्टि की सुंदर कृति हमारी
मैं जग जननी,मैं पालनहारी
मैं हूँ नारी

हमने अपनी शक्ति अब पहचानी
हम दुर्गा, हम हीं माता भवानी
आज नहीं मैं अबला बेचारी
मैं हूँ सक्षम, मैं हूँ बलधारी
मैं हूँ नारी

मैं संस्कारों की हूँ अधिकारी
संस्कृति भी हमारी जिम्मेदारी
शक्तिदायिनी मैं हूँ शस्त्रधारी
कभी चंडी तो कभी ममताधारी
मैं हूँ नारी

युग निर्माण करने की है अब बारी
करनी है हमें मिलकर इसकी तैयारी
साहस, त्याग, दया की अधिकारी
उस करुणामय प्रभु की हूँ आभारी
मैं हूँ नारी

मधु कुमारी
उ०म०वि०भतौरिया
कटिहार

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