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जाग सखी – मीरा सिंह “मीरा”

तुम तो हो मधुमास सखी
जीवन का अहसास सखी

तेरी चर्चा आज बहुत
मत समझो परिहास सखी

उम्मीदों के पंख लगा
छू लो तुम आकाश सखी।

देख रही दुनिया सारी
रच नूतन इतिहास सखी।

आज नहीं है तू अबला
रख खुद में विश्वास सखी।

रचना वाला रचा तुझे
अनुपम सुंदर खास सखी।

बुरी नीयत से जो भी देखे
करना उसका नाश सखी।

खिली खिली रहना हरदम
जैसे हरियर घास सखी।

मन मार क्यों बैठी है
मन में भर उल्लास सखी।

रचना होगा आज तुझे
एक नया इतिहास सखी।

मीरा सिंह “मीरा”
राजापुर हाई स्कूल अर्जुनपुर सिमरी, बक्सर

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