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बिहार दर्शन-मधु कुमारी

बिहार दर्शन

कराऊँ दर्शन मैं तुम्हें, अपने गौरवशाली बिहार की
सुनाऊँ गाथा कुछ मैं भी तुम्हें, बिहार के इतिहास की। 

पूण्य यह पावन धरती, जहाँ सीता माँ ने जन्म लिया
औऱ पवित्र गंगा ने जहाँ, जन जन का है नित कल्याण किया। 

रामायण रचियता बन बाल्मीकि, जग में धर्म स्थापित किया
और कर्ण जैसा महादानी, जग में कोई दूज न जन्म लिया। 

है चाणक्य नीति आज भी प्रख्यात, आर्यभट्ट ने शून्य को किया ज्ञात
थे विद्यापति अटल भक्त, जिसकी भक्ति से स्वयं शिव भी बने दास। 

है कर्मभूमि ये, चक्रवर्ती अशोक जैसे महान सम्राट की
जहाँ बच्चे भी गाते हैं गाथा, वीर कुँवर सिंह के बलिदान की। 

भारत की शान तिरंगा, है मध्य अशोक चक्र जसकी पहचान
राष्ट्रीय चिन्ह बना अशोक स्तंभ, जिसने बढ़ाई देश की शान। 

आज़ाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति बन, देशरत्न राजेन्द्र प्रसाद ने बढ़ाया मान
विस्मिल्लाह खान से मिली, शहनाई को मान सम्मान और पहचान। 

बोधगया की पावन धरती, जहाँ ज्ञान बुद्ध को प्राप्त हुआ
वैशाली है गौरवशाली, जहाँ महावीर के उपदेशों ने मानव का कल्याण किया। 

गुरु गोविंद सिंह सिक्खों के, दसवें गुरु बन खालसा पंथ स्थापित किया
नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला विश्वविद्यालय ने, शिक्षा जगत में अद्वितीय इतिहास रचा। 

कालिदास संस्कृत के थे महाज्ञानी, अभिज्ञानशाकुंतलं, मेघदूत की बात निराली
गोनू झा के किस्से हैं बहुत मशहूर, हाजिरजबाबी और चतुराई नहीं था उससे दूर। 

कवियों की क्या करूं मैं बात, एक से बढ़कर एक श्रेष्ठ रचनाकार
कालिदास, विद्यापति, फणीश्वर, दिनकर, बेनीपुरी, नागार्जुन थे महान। 

धन्य हुई यह पावन धरती, छठ व्रत हैं जहाँ होती महान
संस्कार, सभ्यता, आस्था और ठेकुआ, जिस व्रत की है पहचान। 

दही-चुड़ा, लिट्टी-चोखा, पेरूकिया, मालपुआ, दालपुड़ी
खाजा, खिचड़ी, लड्डू, बालूशाही और झालमुरी की बात निराली। 

हाजीपुर का केला, मुजफ्फरपुर की शाही लीची, बिहार का गौरव भागलपुर का जर्दालु आम
और मधुबनी कला बिहार की देश-विदेश में रखती अपनी अलग पहचान। 

अब बात करती हूँ मैं बिहार की राजधानी पटना की, जिसका गौरव नही है आम
तारामण्डल, संजय गाँधी उद्यान, गोलघर और महावीर मन्दिर बना पवित्र धाम। 

राजगीर में बना शीशे का पुल, पर्यटक का आकर्षण केंद्र बना
शांति स्तूप, झरने का गर्म जल और जरासंध की गुंजी ललकार। 

देखा कितना खूबसूरत है अपना बिहार, सीधे-साधे लोग यहां के है मेहनत जिसकी पहचान
रहते यहाँ खून से धरती सींचनेवाले, मेहनतकश किसान। 

कितना सुंदर, कितना मनोहर है, हमारा गौरवशाली बिहार
कितना लिखूँ, कहाँ तक लिखूं, है अवर्णनीय विस्तृत बिहार। 

इसका वर्णन करते, बन जायेगा एक नया इतिहास
शब्द तक कम पर रहे हैं मेरे, कैसे मैं करूँ गुणगान। 

है गर्व हमें अपनी जन्म भूमि पर, “हम हैं बिहारी” है ये हमारी शान
बिहार की ऐतिहासिक गौरवगाथा को, करते हम बारम्बार प्रणाम। 

मधु कुमारी
उ० म० वि० भतौरिया
कटिहार 

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