Site icon पद्यपंकज

बचपन की यादें-प्रीति कुमारी

बचपन की यादें 

कभी फुरसत के क्षणों में,
मन को टटोलने का,
अवसर मिलता है तब ,
याद आती हैं –
वो बचपन की बातें,
वो चाँदनी रातें,
वो गाँव की पगडंडियाँ,
वो पुराना बट-वृक्ष ,
वो पीपल के छाँव,
वो आम के बगीचे,
वो पुराना राम मन्दिर,
जिसके अहाते में,
लगते थे मेले।
मीना बाजार की शोभा,
और एक से एक झूले।
वो मेले में जाना,
और पानी पूरी खाना।
वो पापा का प्यार,
और माँ का दुलार।
वो बच्चों संग मस्ती,
और आपस की कुश्ती।
वो बूढ़ी गंडक नदी में,
घण्टों डुबकी लगाना,
और खेतों से ककड़ियाँ,
तोड़ कर खाना।
वो दुपट्टे से मछली मारना,
और घण्टों मछलियों के,
झुण्ड को निहारना।
वो हाँथों में शैवाल उठाना,
और एक-दूसरे पर फेंकना।
घण्टों साथियों संग,
जल किलोल करना,
और घर आने पर,
माँ की डांट खाना।
फिर होती थी दुपहरी
और शुरु हो जाती थी,
हम सबकी अन्ताक्षरी ,
और फिर एक से एक,
पुराने गानों की,
लग जाती थी झड़ी।
सभी एक दूसरे पर,
पड़ते थे भारी।
न कोई हार,
न कोई जीत,
बीच में ही अन्ताक्षरी को,
करना पड़ता था बन्द।
वो गेंदे के फूलों से,
बैडमिंटन खेलना,
और मम्मी के आने पर,
दूर भाग जाना।
जीवन के उन स्वर्णिम पलों के,
अनगिनत हैं यादें,
याद उन्हें करके,
भर आतीं हैं आँखें।
आज जब फिर से,
चली पुरवाई,
बचपन की यादों से,
आँखें भर आईं।
काश कि वो बचपन,
लौट कर आ पाता,
मन यह सोचकर,
मन्द-मन्द मुसकाता।

🌷🌷🦋☘🌳🌹🌷🌷

प्रीति कुमारी
कन्या मध्य विद्यालय मऊ

विद्यापति नगर समस्तीपुर 

Spread the love
Exit mobile version