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आ रही रवि की सवारी-मधु कुमारी

Madhu

 

                  आ रही रवि की सवारी

आ रही रवि की सवारी
जाग गई है दुनियां सारी
गूँज रही विहगों की किलकारी
नव किरण से सजी धरा सुकुमारी
आ रही रवि की सवारी…..

कलियाँ खिल गई है सारी
तमस धरती का बन गया भिखारी
स्वर्ण सा सुसज्जित हो
मोहक लगे धरा प्यारी
आ रही रवि की सवारी……

आलस्य को भगा
काम की करें तैयारी
मेहनत करने की
अब है हमारी बारी
तुम भी स्कूल जाकर
भविष्य की करो तैयारी
सूरज सा खुद को तपाकर
जग रोशन करने की है
अब तुम्हारी बारी
देखो आ गई रवि की सवारी।

मधु कुमारी
कटिहार

 

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